आरएसएसबी की टीम जायजे को आई तो सीएचसी दिखा चकाचक, एक दिन बाद व्यवस्था धड़ाम
सुपौल- जिले के छातापुर सीएचसी का राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार पटना की दो सदस्यीय टीम ने बुधवार को ही तकरीबन चार घंटे रूककर चप्पे-चप्पे का जायजा लिया था।

आरएसएसबी की टीम जायजे को आई तो सीएचसी दिखा चकाचक, एक दिन बाद व्यवस्था धड़ाम, न बेड पर चादर, फिर वही दुर्गंध
सुपौल– जिले के छातापुर सीएचसी का राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार पटना की दो सदस्यीय टीम ने बुधवार को ही तकरीबन चार घंटे रूककर चप्पे-चप्पे का जायजा लिया था। इस दौरान सीएचसी की साफ-सफाई से लेकर अंत: व बाह्य कक्ष तक के बेड पर चादर बिछी थी और आउटसोर्सिंग कर्मी द्वारा मरीजों को बेड तक पहुंचा कर नाश्ता-खाना दिया गया था, लेकिन टीम के जाने के एक दिन बाद ही पूरी व्यवस्था धड़ाम हो गई। गुरुवार के मुआयना में इस भारी ठंड के मध्य न मरीजों के बेड पर चादर बिछे थे और ना ही आउटसोर्सिंग का कार्य दुरुस्त था। पूछने पर मरीजों के अटेंडेंट ने यह तो स्वीकार किया कि उन्हें नाश्ता-खाना दिया गया है, लेकिन स्पष्ट किया कि उनलोगों ने आउटसोर्सिंग कर्मी के आवास पर जाकर नाश्ता-खाना लाया है।
नाश्ते में ब्रेड व दूध देने की बात तो सामने आई, लेकिन अंडा की चर्चा तक नहीं थी। वहीं दोपहर के खाना में दाल, चावल व आलू की भाजी मिलने की बात कही। बताया कि खाना लेने के लिए नीचे आउटसोर्सिंग कर्मी के आवास पर जाना पड़ा है। वहीं बुधवार की व्यवस्था पर गौर करें तो टीम के आगमन की पूर्व सूचना पर पहले से अस्पताल की व्यवस्था सुधार ली गई थी, फेनायल से पोंछा लगा था। बावजूद टीम की पारखी नजर ने कमियां खोज ही ली और फटकार भी लगाई। हैरानी की बात है कि तब सीएचसी प्रभारी ने कहा था कि जो भी कमियां पाई गई है, सुधार ली जाएगी, लेकिन एक दिन बाद ही अस्पताल की व्यवस्था पुराने ढर्रे पर लौट आई। फिर वही दुर्गंध और भारी ठंड के बीच भी मरीजों के बेड पर चादर तक मयस्सर नहीं था।
सारी अवैध गतिविधियों को टीम के समक्ष रखा गया:
सूत्र बताते हैं कि दो सदस्यीय टीम के आगमन पर सदस्यों का गुलदस्ता से स्वागत हुआ। इसके बाद चाय, नाश्ता और फिर दोपहर के खाना में आउटसोर्सिंग के मेस से चिकेन चावल की आवभगत में अस्पताल की सारी कमियां धुल गई! हालात पर गौर करें तो अस्पताल के सामने अतिक्रमण का मायाजाल है जहां दिन रात अवैध निजी अस्पतालों के दलालों का जमावड़ा लगा रहता है और कमीशनखोरी के फेर में प्रसूताओं के परिजनों में भय पैदा कर प्रसूता को रेफर करा अवैध निजी अस्पताल तक पहुंचा देते हैं। इन सारी अवैध गतिविधियों को टीम के समक्ष रखा गया, लेकिन अब कार्रवाई की गेंद टीम के पाले में है।