उर्दू सिर्फ मुसलमानों की भाषा नहीं, तहजीब से पैदा हुई मोहब्बत की जुबान है
सुपौल - जिले के छातापुर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित ललित नारायण मिश्र सभा भवन में रविवार को अंजुमन तरक्की उर्दू प्रखंड इकाई के बैनर तले उर्दू जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया।

उर्दू सिर्फ मुसलमानों की भाषा नहीं, फातेहीनों की भी नहीं, यहां की तहजीब से पैदा हुई मोहब्बत की जुबान है : मुफ्ती शमीम अकरम
आरएनएन/सुपौल – जिले के छातापुर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित ललित नारायण मिश्र सभा भवन में रविवार को अंजुमन तरक्की उर्दू प्रखंड इकाई के बैनर तले उर्दू जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की सदारत अंजुमन तरक्की उर्दू के जिला सचिव कारी मो रिजवान इशाति और निजामत प्रखंड सचिव मौलाना मो इस्माइल कासमी ने की। कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन ए पाक की तिलावत से हुई।
वक्ताओं ने अपने तक़रीर में कहा कि सूबे के जुबानी इन्तेजामात में उर्दू को हिंदी के बाद दूसरा दर्जा प्राप्त है। इसके बावजूद सरकारी काम काज में और हमारे आम बोलचाल में हम सभी उर्दू भाषा का उतनी शिद्दत से इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिसकी वजह से इसका प्रचार प्रसार नहीं हो पा रहा है। जब तक हम सभी उर्दू जुबान को अपनी आम जिंदगी में शामिल नहीं करेंगे तब तक नफासत की इस जुबान को सही मुकाम हासिल नहीं हो पाएगा।
उर्दू जुबान के पहले अखबार की गैर मुस्लिम ने ही शुरुआत की थी:
वहीं इमारत ए शरिया फुलवारी शरीफ पटना के मौलाना व मुफ़्ती शमीम अकरम रहमानी ने कहा कि आम तौर पर लोगों के जेहन में है कि उर्दू मुसलानों की भाषा है और मुस्लिम फ़ातेहीनों के द्वारा लाई गई है, लेकिन ऐसा नहीं है। उर्दू जुबान यहां की तहजीब से पैदा हुई है और उर्दू मोहब्बत की जुबान बन गई।
कहा कि उर्दू को जितना मुसलमानों ने सीखा है उससे ज्यादा गैरमुस्लिमों ने जगह दी है। उर्दू जुबान के पहले अखबार की गैर मुस्लिम ने ही शुरुआत की थी। इस जुबान की तरक्की में कुछ परेशानियां सरकार के तरफ से भी रही है, लेकिन कुछ परेशानियां हमलोग पैदा कर रहे हैं।
कार्यक्रम के दौरान उर्दू की खुबसूरती एवं देशप्रेम का इजहार किया:
इस जुबान से हमारी उतनी मोहब्बत नहीं है जितनी जरूरत है। मौके पर सदारत कर रहे जिला सचिव कारी मो इशाति ने उर्दू के प्रचार प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि आमलोगों के बीच उर्दू जुबान को पहुंचाने के लिए वे काम करें और खुद व अपने बच्चों को उर्दू की तालीम दें। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा को बढ़ावा देने के लिए हम जो भी कार्यालय का कार्य करते हैं उसमें उर्दू को जगह दें। मसलन, यदि हम किसी कार्यालय में आवेदन ही देते हैं तो वह ऊर्दू में हो।
सभी को अपनी जगह पर खड़ी कर उर्दू के प्रचार प्रसार की कसम दिलाई:
सरकार ने हर कार्यालय में उर्दू अनुवादक बहाल कर रखी है, जो हमारी जुबान को महकमे तक पहुंचाने के लिए बिठाए गए हैं। इसके अलावा सरकार उर्दू अनुवादकों एवं उर्दू शिक्षकों की बहाली पर भी जोर दे रही है। उन्होंने मौके पर कार्यक्रम में शिरकत कर रहे सभी को अपनी जगह पर खड़ी कर उर्दू के प्रचार प्रसार की कसम दिलाई और स्पष्ट किया कि यह कोई मजहबी कार्यक्रम नहीं है, इसका मकसद उर्दू का प्रचार प्रसार मात्र है। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पंचम नारायण सिंह, कारी रिजवान इशाति और मौलाना कमरे आलम नदवी शामिल हुए।
कार्यक्रम को शिक्षक उमाशंकर कुमार, मुफ़्ती जफीउर्रहमान, मुफ़्ती सज्जाद कासमी, मौलाना सदरे आलम, मौलाना इनायतुल्लाह, हाफिज मो हारूण, हाफिज मो मिनतुल्लाह, हाफिज मो सोहराब, मौलाना अब्दुल कैयूम, मौलाना सिराज आशिकी, मौलाना इजरायल, मौलाना एहसान आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर बीपीआरओ देश कुमार,
पूर्व मुखिया हसन अंसारी, मुखिया पति मकसूद मसन, मो नूरुद्दीन, परवेज आलम, शेख मो जइम, शमसाद खान, मो जियाउल, इजहार आलम, मो कलीम सहित दर्जनों की संख्या में लोग मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान मदरसा जामिया आयशा लिल बनात के छात्रों ने नाते ग़ज़ल सुनाकर उर्दू की खुबसूरती एवं देशप्रेम का इजहार किया।