महाकुंभ में अनोखे संत: 32 सालों से नहीं किया स्नान, रहस्यमयी कहानी है
गंगापुरी महाराज का कद महज 3 फीट 8 इंच है, लेकिन उनकी उपस्थिति, व्यक्तित्व और जीवन की रहस्यमयी कहानी ने उन्हें मेले का मुख्य आकर्षण बना दिया है।

महाकुंभ में अनोखे संत: 3 फीट 8 इंच के गंगापुरी महाराज, 32 सालों से नहीं किया स्नान, रहस्यमयी है जीवन की कहानी
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 के धार्मिक उत्सव में लाखों श्रद्धालु और साधु-संत हिस्सा ले रहे हैं। हर दिन यहां श्रद्धा और आस्था के अनोखे दृश्य देखने को मिल रहे हैं। इस बार महाकुंभ में पहुंचे एक विशेष साधु गंगापुरी महाराज सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। गंगापुरी महाराज का कद महज 3 फीट 8 इंच है, लेकिन उनकी उपस्थिति, व्यक्तित्व और जीवन की रहस्यमयी कहानी ने उन्हें मेले का मुख्य आकर्षण बना दिया है।
32 सालों से नहीं किया स्नान: क्या है रहस्य?
57 वर्षीय गंगापुरी महाराज, जिन्हें लोग प्यार से “लिलिपुट बाबा” और “छोटे बाबा” कहकर पुकारते हैं, का दावा है कि उन्होंने पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं किया है। इस बात पर विश्वास करना कठिन हो सकता है, लेकिन बाबा बड़े ही शांत भाव से इसका कारण बताते हैं।
बाबा का कहना है, “मैंने एक संकल्प लिया है, और जब तक वह संकल्प पूरा नहीं होता, मैं स्नान नहीं करूंगा।” जब उनसे उनके संकल्प के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे गुप्त रखने की बात कही। बाबा ने यह भी कहा कि उनका यह संकल्प उनके आत्मिक और आध्यात्मिक जीवन से जुड़ा है।
गंगापुरी महाराज: असम से जूना अखाड़े तक का सफर
गंगापुरी महाराज असम के रहने वाले हैं और खुद को जूना अखाड़े का साधु बताते हैं। 57 साल की उम्र में भी बाबा अपनी आत्मिक शक्ति और संयम से सभी को प्रभावित कर रहे हैं। उनका कहना है कि आंतरिक शुद्धता बाहरी स्वच्छता से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “स्नान न करने का मतलब यह नहीं है कि मैं अस्वच्छ हूं। मेरी आंतरिक चेतना और साधना ही मेरी असली स्वच्छता है।”
क्या महाकुंभ में करेंगे डुबकी?
महाकुंभ में पवित्र स्नान को लेकर जब बाबा से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “मैं यहां स्नान करने नहीं आया हूं। जब मेरा संकल्प पूरा होगा, मैं सबसे पहले क्षिप्रा नदी में स्नान करूंगा।” बाबा की इस बात ने लोगों में उनके संकल्प और जीवन के प्रति जिज्ञासा बढ़ा दी है। हालांकि, बाबा ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि उनका संकल्प कब पूरा होगा। उनका कहना है कि संकल्प उनकी आत्मा और गुरु की इच्छा से जुड़ा है, और इसे किसी को बताना उचित नहीं है।
महाकुंभ में बाबा का प्रभाव और दिनचर्या: गंगापुरी महाराज महाकुंभ में एक साधारण तंबू में रह रहे हैं, लेकिन उनकी दिनचर्या और उपदेशों ने उन्हें खास बना दिया है। वह दिन में हवन करते हैं और अपने अनुयायियों को ध्यान और साधना के महत्व के बारे में बताते हैं।
बाबा कहते हैं, “महाकुंभ केवल बाहरी कर्मकांड का स्थान नहीं है। यह आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का अवसर है। जो लोग यहां आते हैं, उन्हें केवल स्नान ही नहीं, बल्कि आंतरिक साधना पर भी ध्यान देना चाहिए।”
लोगों में बाबा को लेकर उत्साह : गंगापुरी महाराज का कद और उनकी अनोखी जीवनशैली महाकुंभ में श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बन गई है। लोग दूर-दूर से उन्हें देखने और उनसे बातचीत करने आ रहे हैं।
एक श्रद्धालु ने कहा, “बाबा का कद भले ही छोटा हो, लेकिन उनकी बातें बहुत बड़ी हैं। उनके संकल्प और उनके जीवन की साधना हमें बहुत कुछ सिखाती है।”
बाबा कब तक महाकुंभ में रहेंगे?
जब बाबा से पूछा गया कि वह महाकुंभ में कब तक रहेंगे, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “हम यहां तब तक रहेंगे, जब तक हमारा मन पूरा नहीं होगा।” उनका यह उत्तर भी उनकी रहस्यमय और साधनापूर्ण जीवनशैली को दर्शाता है। महाकुंभ का आकर्षण बन रहे हैं गंगापुरी महाराज गंगापुरी महाराज का जीवन और उनकी साधना महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं को यह संदेश देती है कि साधना और संयम से जीवन के बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। उनका मानना है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का एक पवित्र अवसर है।
गंगापुरी महाराज जैसे अनोखे साधु न केवल महाकुंभ की आध्यात्मिक गरिमा को बढ़ा रहे हैं, बल्कि यह भी साबित कर रहे हैं कि साधारण कद-काठी वाला व्यक्ति भी अपने अदम्य साहस और आस्था से लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है।