SC: ‘कोई आरोपी या दोषी है, इस वजह से संपत्ति में तोड़फोड़ नहीं हो सकती’, बुलडोजर एक्शन पर रोक बरकरार

SC: ‘कोई आरोपी या दोषी है, इस वजह से संपत्ति में तोड़फोड़ नहीं हो सकती’, बुलडोजर एक्शन पर रोक बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनका आदेश उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है और उन मामलों में भी लागू नहीं होगा, जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है।

संपत्तियों को तोड़े जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हम यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी या दोषी है. उसकी संपत्ति को गिराने का आधार नहीं बनाया जा सकता।’ हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीन पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में अपराधियों, आरोपियों और अन्य की संपत्तियों को गिराया जा रहा है।

‘सभी नागरिकों के लिए दिशा निर्देश, किसी धर्म विशेष के लिए नहीं’

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ‘वह संपत्तियों को ध्वस्त करने के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगा, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं।’पीठ ने कहा, ‘हम जो भी फैसला कर रहे हैं, वह पूरे देश के सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए तय कर रहे हैं, किसी खास समुदाय के लिए नहीं.हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। किसी धर्म विशेष के लिए अलग कानून नहीं हो सकता।’ पीठ ने कहा कि ‘वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी भूमि या जंगलों पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगी।’सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि हमारी सीमाओं या किसी सार्वजनिक संपत्ति पर कोई अतिक्रमण न हो.

सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी रोक

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इससे पहले 17 सितंबर के अपने आदेश में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगा दी थी। 17 सितंबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 1 अक्टूबर तक बिना सुप्रीम कोर्ट की पूर्व अनुमति के किसी की भी संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि अवैध विध्वंस का एक भी मामला संविधान के ‘मौलिक सिद्धांतों’ के खिलाफ है. सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, जंगल, रेलवे लाइन या किसी जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है और उन मामलों में भी लागू नहीं होगा, जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है।

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