बजट से एमएसएमई को है काफी उम्मीदें

नयी दिल्ली : भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट ने केंद्रीय बजट 2024 में वर्तमान अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों को देखते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) पर रणनीतिक फोकस रखे जाने की अपील की है।
संगठन ने आज यहां जारी बयान में कहा कि उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र, कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है, जिसने 1 जुलाई, 2020 और 1 अगस्त, 2023 के बीच 12,36,15,681 व्यक्तियों को रोजगार देने का आंकड़ा है। महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने विविध योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं के तहत ऋण सहायता, नए उद्यम विकास, फॉर्मलाइजेशन, तकनीकी सहायता, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, कौशल विकास और बाजार सहायता जैसे मुद्दों को कवर किया गया है।
11 जनवरी, 2023 को लॉन्च किया गया उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म भी अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक दायरे में लाने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है। इस तरह वे प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत लाभ प्राप्त करने में सक्षम बन सकते हैं। ऐसे उपाय इन उद्यमों को वित्तीय तौर पर सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उसने कहा कि सरकार का लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में एमएसएमई के लिए अपार अवसर प्रदान करते हुए, सस्टेनेबल उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। भारत ने खुद को एक ऐसे देश के रूप में भी स्थापित किया है, जहां निवेश करना लोगों की पहली पसंद हो सकता है। एमएसएमई ‘चीन प्लस 1’ भावनाओं से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। यह रणनीतिक व्यावसायिक दृष्टिकोण, आशाजनक विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निवेश और विनिर्माण में विविधता लाता है, जो भारतीय एमएसएमई के विकास पथ के साथ सहजता से मेल खाता है।
विकास संबंधी इन प्रयासों को देखते हुए, सरकार के लिए एमएसएमई क्षेत्र, विशेष रूप से ग्रामीण एमएसएमई पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है, ताकि उन्हें व्यवसाय स्थापित करने के पहलुओं के साथ-साथ वर्तमान डिजिटल युग के माध्यम से इसे बनाए रखने में सहायता मिल सके। भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट द्वारा ग्रामीण एमएसएमई उद्यमियों के बीच किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी सामने आई है। व्यावसायिक करों को मैनेज करना और फाइलिंग करने से संबंधित जटिलताओं से निपटना, संबंधित लागतों, समय की आवश्यकताओं और न्यूनतम पूंजी निवेश के बारे में जागरूकता की कमी, और माल और सेवा कर (जीएसटी) को लेकर जानकारी का एक महत्वपूर्ण अंतर, ग्रामप्रेन्योर्स के सामने आने वाली शीर्ष चुनौतियां हैं। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि बहुत कम ग्रामप्रेन्योर्स डिजिटल भुगतान के तरीकों को अपना रहे हैं और इसी तरह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने वाले भी सीमित संख्या में हैं।

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