कोसी नदी के 56 साल का रिकॉर्ड टूटने की संभावना:सुपौल में तटबंध के भीतर रह रहे लोगों से बाहर निकलने की अपील
सुपौल- नेपाल के पहाड़ी व तराई क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के बीच कोसी नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। बताया जा रहा है कि नदी का जलश्राव 56 सालों का रिकॉर्ड तोड़ती दिख रही है। शुक्रवार को आपदा प्रबंधन विभाग बिहार सरकार से जारी अलर्ट के बाद जिला प्रशासन सहित कोसी के अभियंता तटबंध व कोसी बराज की सतत निगरानी बरत रहे हैं। वहीं शुक्रवार की देर संध्या से ही तटबंध के भीतर रहने वाले परिवारों को बाहर निकल कर ऊंचे व सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कहा जा रहा है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर से माइकिंग कराने के साथ नाव परिचालन की भी व्यवस्था कराई गई है। भीतरी क्षेत्र से निकले परिवारों को ऊंचे स्थानों पर तत्काल आवासित करने के साथ उनके लिए कम्युनिटी किचेन तक की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रशासनिक पहल हो रहा है। तटबंध के भीतर संचालित स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों को अगले आदेश तक के लिए बंद करा दिया गया है। इधर, शुक्रवार की आधी रात के बाद से कोसी नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है। कोसी बराज के कंट्रोल रूम से जारी सूचना पर गौर करें तो शुक्रवार को जहां कोसी का जलश्राव एक लाख क्यूसेक के आसपास था वह आधी रात के बाद से लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी पत्र के अनुसार शनिवार को 12 बजे दोपहर तक इसके 06 लाख 81 हजार को पार करने की संभावना जताई गई थी। इसके मद्देनजर शनिवार को सायं सात बजे तक कोसी बराज से 05 लाख 79 हजार 390 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज बढ़ते क्रम में रिकॉर्ड किया है। वहीं बराह क्षेत्र के जलस्तर में थोड़ी नरमी आई। बराह क्षेत्र का जलस्तर चार और पांच बजे के बीच 04 लाख 80 हजार 375 क्यूसेक स्टैंडिंग मोड में दर्ज किया गया। जबकि 07 बजे का डिस्चार्ज पांच लाख क्यूसेक पहुंच गया है, जिसमें वृद्धि दर्ज की जा रही है। एहतियातन बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं जहां नदी अपने रौद्र रूप में है। कोसी बराज पर भारी दबाव बने होने की चर्चा आम हो रही है। बराज पुल पर नदी का पानी चढ़ जाने के बाद सायंकाल पुल पर आवाजाही रोक दी गई है। इसको लेकर नेपाल प्रशासन की ओर से पत्र जारी कर अगले आदेश तक के लिए पुल पर आवागमन नहीं करने की सलाह दी गई है। हालांकि कोसी के चीफ इंजीनियर स्वयं हालात पर नजर बनाए हुए हैं। सभी अभियंताओं को तटबंध के कमजोर बिंदुओं की निगरानी के कार्य पर लगा दिया गया है। वहीं जिलाधिकारी कौशल कुमार सहित वीरपुर, निर्मली व सदर अनुमंडल पदाधिकारी भ्रमणशील रहकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
इधर, शुक्रवार को आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से पत्र जारी होने के बाद से वर्ष 2008 की बाढ़ विभिषिका झेल चुके लोगों की सांसे हलक में अटकी हुई है। लोगों में कोसी के जलस्तर में 56 सालों का रिकॉर्ड टूटने की बातें सुन सुनकर भय का माहौल व्याप्त है। कोई कोसी मैया से रहम की गुहार लगा रहा है तो कोई बाजार से खाने पीने व जरुरत के सामान एकत्रित करने में जुटा है। बाढ़ की आशंका के मद्देनजर खरीदारी करते ग्राहकों को देख चंद व्यवसायियों ने भी कीमतों में उछाल ला दिया है। एक ग्राहक ने बताया कि कल तक 22-23 सौ में बिकने वाले सरसों तेल के प्रति कनस्तर की कीमत आज 2700 मांगी जा रही है तो आलू प्याज के दाम आसमान छूने लगे हैं। आमलोगों की निगाहें कोसी नदी व बराज के हालात पर टिकी हुई है। पल-पल मोबाइल से अपडेट लेते लोगों के चेहरे पर मायूसी के बादल छाए हुए हैं। बुधवार से लगातार बारिश झेल रहे लोगों को अब तक निजात नहीं मिली है। जानकार बताते हैं कि नेपाल के पहाड़ी इलाकों में जब तक वर्षापात होता रहेगा कोसी के जलस्तर में वृद्धि होगी। यदि उस तरफ बारिश थम जाती है तो यह राहत प्रदान करेगी। बताया कि जलस्तर में कमी आने के बाद अभियंताओं को और अधिक मुस्तैदी बरतनी होगी। कहा कि कोसी नदी का जब जलस्तर घटना शुरू होता है तो कटाव तेज हो जाता है और ऐसे समय में अभियंताओं को तटबंधों की सतत निगरानी बरतनी होती है। बताया कि इसे यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कमजोर बिंदुओं पर कटाव तेज होते ही अभियंताओं को नदी से जंग लड़कर जीतना होता है। वर्ष 2008 की कुसहा त्रासदी इसकी मिसाल है जब दो लाख से कम जलश्राव में ही नदी ने तटबंध तोड़ कर भारी तबाही मचाई थी।