सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृत्ति होती है जागृत
सुपौल- जिला संतमत सत्संग का 33वां दो दिवसीय वार्षिक अधिवेशन मंगलवार को छातापुर प्रखंड के भीमपुर पंचायत स्थित केवला गांव में भक्ति भाव के साथ संपन्न हो गया। समापन दिवस के अवसर पर हजारों की संख्या में सत्संग प्रेमियों की भीड़ प्रवचन श्रवण के लिए उमड़ी।

सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृत्ति होती है जागृत, ध्यान से पाप का होता है नाश : महाराज
आरएनएन/सुपौल– जिला संतमत सत्संग का 33वां दो दिवसीय वार्षिक अधिवेशन मंगलवार को छातापुर प्रखंड के भीमपुर पंचायत स्थित केवला गांव में भक्ति भाव के साथ संपन्न हो गया। समापन दिवस के अवसर पर हजारों की संख्या में सत्संग प्रेमियों की भीड़ प्रवचन श्रवण के लिए उमड़ी। सत्संग स्थल पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय संतमत सत्संग महासभा के पूज्यपाद स्वामी प्रमोद दास जी महाराज, डाॅ. स्वामी निर्मलानंद जी महाराज, संतमत के अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी सत्यप्रकाश महाराज, स्वामी परमानन्द जी बाबा, स्वामी डॉ गुरु प्रसाद बाबा, संतमत के महामंत्री दिव्यप्रकाश उर्फ विजय यादव सहित अन्य साधु महात्माओं के प्रवचन से मौके पर जुटे अनुयायी सराबोर हुए।
दो दिवसीय सत्संग के आखिरी सत्र में संतों ने सत्संग के माध्यम से श्रवणकर्ताओं को सत्संग से प्राप्त ज्ञान एवं इससे मानव जीवन को होने वाले लाभ के बारे में बताया। अपने प्रवचन के दौरान संतों ने कहा कि ध्यान से परमात्मा की प्राप्ति संभव है और इससे पाप का नाश होता है। जीवन चक्र में संचित पाप को ध्यान के माध्यम से मिटाया जा सकता है। कहा कि ज्ञान प्राप्ति के बाद अंदर से अग्नि प्रज्वलित होगी जो संचित पाप को जलाकर भस्म कर देगी। सत्संग के सानिध्य से ही मानव का कल्याण संभव है। बताया कि सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृत्ति जागृत होती है इसलिए मानव को संतमत के बताए मार्ग पर चलकर जीवन में अनुशरण करने की ज़रूरत है।
मन पवित्र तो सारा जीवन पवित्र हो जाएगा:
उन्होंने कहा कि यह मानव शरीर बड़ी मुश्किल से मिला है और इसी शरीर के भीतर मानव का सभी स्वरूप है। हम जिस रूप में इस शरीर रूपी मन को ले जाएंगे, हमारा मन वहीं जाएगा। सत्संग के दौरान लोग संतों की वाणी का सिर्फ श्रवण करते हैं और घर पहुंचते हीं सारी बातों को भुलाकर मन चंचल हो जाता है तभी इस मन के भीतर कुरितियां पैदा होती है और लोग गलत मार्ग पर चलने को मजबूर हो जाते हैं। इसलिए पवित्रता में ही ईश्वर का वास होता है। मन पवित्र तो सारा जीवन पवित्र हो जाएगा। कहा कि इस आधुनिकता के युग में लोग अपना बहुमूल्य समय इधर-उधर के कामों में भटकाता है, उसमें से सिर्फ 10 मिनट ईश्वर की भक्ति में लगाएगा तो उनका जीवन साकार हो जाएगा।