8 जनवरी को सीटू व हिमाचल किसान सभा का मंडी में राज्य स्तरीय अधिवेशन होगा
नाहन, 01 जनवरी : सीटू की सिरमौर कमेटी की बैठक जिलाध्यक्ष लाल सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में सीटू राज्य उपाध्यक्ष जगत राम विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में निर्णय लिया गया कि मजदूरों व किसानों की मांगों पर 8 जनवरी को सीटू व हिमाचल किसान सभा का मंडी में राज्य स्तरीय अधिवेशन होगा।
सीटू जिला अध्यक्ष लाल सिंह व महासचिव आशीष कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार मजदूरों के कानूनों पर हमले कर रही है। इसी कड़ी में मोदी सरकार ने मजदूरों के कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड बनाने, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण के निर्णय लिए है।
उन्होंने आउटसोर्स नीति बनाने, स्कीम वर्कर्स को नियमित कर्मचारी घोषित करने, मनरेगा मजदूरों के लिए 350 रुपये दिहाड़ी लागू करने आदि विषयों पर केंद्र व प्रदेश सरकार की मज़दूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश जैसी कई राज्य सरकारों ने आम जनता, मजदूरों व किसानों के लिए आपदाकाल को पूंजीपतियों व कॉरपोरेट्स के लिए अवसर में तब्दील कर दिया है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 अक्तूबर 2016 को समान कार्य के लिए समान वेतन के आदेश को आउटसोर्स, ठेका, दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए लागू नहीं किया जा रहा है। केंद्र व राज्य के मजदूरों को एक समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के मजदूरों के वेतन को महंगाई व उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है। सातवें वेतन आयोग व 1957 में हुए 15वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार उन्हें 21 हज़ार रुपये वेतन नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग की है कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन 21 हज़ार रुपये घोषित किया जाए। केंद्र व राज्य का एक समान वेतन घोषित किया जाए। आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा व अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए।
मनरेगा में 200 दिन का रोज़गार दिया जाए व उन्हें राज्य सरकार द्वारा घोषित 350 रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए। श्रमिक कल्याण बोर्ड में मनरेगा व निर्माण मजदूरों का पंजीकरण सरल किया जाए।