42 डिग्री तापमान में सेब उगाने का कारनामा कर, इकबाल ने गर्म क्षेत्र में सेब बागवानी को दिखाई राह :ऊना

सेब को देखकर और इसका नाम सुनते ही हम सबके जहन में बर्फ, पहाड़ और ठंडी वादियों की झलक सहज ही आ जाती है और हम सोचते हैं कि सेब बागवानी केवल इन्हीं क्षेत्रों में हो सकती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के सबसे गर्म क्षेत्र उना के प्रतिशील किसान इकबाल सिंह ठाकुर ने इस मिथक को दूर करते हुए अंब विकास खंड में सेब बागवानी करने का कारनामा कर दिखाया है। इकबाल ने खरोह पंचायत में तीन साल पहले सेब के 200 पौधे लगाए थे, जिनमें से 150 पौधे सफल रहे और अब इस वर्ष इनमें 20 पौधों में सेब का सैंपल आया है। गौर रहे कि अंब क्षेत्र में गर्मियों में तापमान 42 डिग्री के पार चला जाता है, ऐसे में इकबाल सिंह ने गर्मी को देखते हुए यहां पर गर्म इलाकों में होने वाले सेब की किस्मों अन्ना, डोरसेट, माइकल और मौरिस को लगाया था। जिसके चलते उन्हें इसमें सफलता मिल पाई। युवा बागवान इकबाल सिंह ठाकुर बताते हैं कि जब मैंने गर्म इलाके में सेब बागवानी के बारे में सुना तो इसे मैंने हल्के में लिया। लेकिन जब मैनें इसके बारे में अधिक जानकारी एकत्रित की तो मैंने इसमें हाथ आजमाने को प्रण ले लिया। इकबाल बताते हैं कि मैनें नौणी यूनिवर्सिटी से सेब के पौधे लाए और इन्हें अपने साढे चार बीघा के प्लाट में लगाया है और पौधों की बढ़वार बहुत अच्छी है।
इकबाल सिंह हिमाचल प्रदेश में शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण पाने वाले पहले 900 किसानों में से एक हैं और वे सेब बागवानी को भी प्राकृतिक खेती विधि से ही कर रहे हैं।
इकबाल सिंह बताते हैं कि कृषि और बागवानी के प्रति उनका प्यार उनके पिता आंकार ठाकुर की वजह से उनमें आया है। वे बताते हैं कि उनके पिता जब भी कहीं जाते थे तो वे वहां से कोई न कोई फल का पौधा लाते थे और उसे अपने घर के पास रोप दिया करते थे। इस तरह हमारे घर के आस-पास 20 तरह से अधिक फलों के सैकडों पौधे फल दे रहे हैं।
इकबाल सिंह का कहना है कि इस बार सेब में जो सैंपल आया है उसका रंग, आकार और स्वाद बहुत अच्छा है। उन्होंने आशा जताई कि अगले साल तक उनके सभी पौधे सैंपल दे देंगे और वर्ष 2024 में अच्छी पैदावार आना शुरू हो जाएगी। इकबाल सिंह ने क्षेत्र के अन्य किसानों से भी बागवानी में हाथ आजमाने के लिए अपील की है। उनका कहना है कि कृषि के साथ यदि बागवानी को भी करते हैं तो इससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसानों को रसायनों को त्यागकर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए। इससे किसानों की कृषि लागत होगी आमदनी बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को स्वस्थ खाद्यान खाने को मिलेगा।

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