स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम स्तर पर ग्राम स्वच्छ योजना पर केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से विशेष बल दिया जा रहा है।
इंदौरा
स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम स्तर पर ग्राम स्वच्छ योजना पर केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से विशेष बल दिया जा रहा है। गत कई वर्षों से सरकारें इसके लिए जागरुकता अभियान भी चला रही हैं, लेकिन अभी तक यह योजना धरातल पर न उतर पाने के कारण सरकार ने कड़ा रुख अपनाना शुरु किया है।
सरकार की तरफ से इसके लिए 30 जुलाई तक पंचायत प्रतिनिधियों व सचिवों को खण्ड स्तर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को विकास खण्ड इंदौरा में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न हुआ।
इस दौरान न केवल ग्रामीण स्तर पर संपूर्ण स्वच्छता व हर घर शौचालय के महत्व व इसे सुनिश्चित करने पर पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया गया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि जगह – जगह फैले कूड़े – कचरे के प्रबंधन व निष्पादन का प्रावधान हर पंचायत के लिए अनिवार्य है।
इस अवसर पर बी.डी.ओ. कर्म सिंह नरयाल, एस.ई.वी.पी.ओ. कुलविंद्रसिंह, पंचायत इंस्पेक्टर सुरेश कौंडल, कार्यवाहक एल.एस.ई.ओ. अमन डोगरा व सहायक पर्यावरण अभियंता राहुल शर्मा ने पंचायत प्रतिनिधियों व सचिवों को प्रशिक्षण के दौरान बताया कि प्लास्टिक व अन्य कचरे का असर वायु, मृदा व पानी में जा रहा है, जिससे लोग कैंसर जैसी भयानक बिमारी की चपेट में आ रहे हैं साथ ही यह हमारे वातावरण को नुकसान पहुँचाता है और ओजोन परत में इससे छेद हो रहे हैं, जिसके आने वाले समय में घातक परिणाम होंगे, इसलिए सभी पंचायतों के लिए ठोस, तरल व प्लास्टिक प्रबंधन कचरा प्रबंधन अनिवार्य है। इसके लिए 1 अगस्त से 15 अगस्त तक विलेज सैनिटेशन प्लान तैयार करें व उसके बाद 2 अक्तूबर तक ग्राम पंचायत विकास योजना ( जी.पी.डी.पी. ) तैयार करनी होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन पंचायतों का वी.एस.पी. नहीं बनेगा उनका जी.पी.डी.पी. भी ऑनलाइन नहीं हो पाएगा और ठोस अथवा प्लास्टिक कचरा प्रबंधन योजना में विफल रहने वाली पंचायतों को 15वें वित्तायोग की राशि विकास कार्यों के लिए नहीं मिल पाएगी।