वादियों का सफर करने के इच्छुक सैलानी इसी वर्ष स्पेशल पैनोरमिक कोचों में कालका से शिमला तक का सफर तय करते नजर आएंगे

 

विश्व धरोहर में शामिल कालका-शिमला रेलमार्ग पर टॉय ट्रेन का आनंद लेने वाले सैलानियों के लिए खुशखबरी है। वादियों का सफर करने के इच्छुक सैलानी इसी वर्ष स्पेशल पैनोरमिक कोचों में कालका से शिमला तक का सफर तय करते नजर आएंगे। दो कोचों के सफल परीक्षण के बाद जिन चार कोचों का ट्रायल होना है, वह मार्च में कालका रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाएंगे। इसके कुछ समय बाद इनका ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।

अधिकारियों के अनुसार कालका-शिमला रेलमार्ग पर जब पैनोरमिक कोचों वाली ट्रेन गुजरेगी तो स्विट्जरलैंड की बर्निना एक्सप्रेस की अनुभूति होगी। इन कोचों की लुक स्विट्जरलैंड की बर्निना एक्सप्रेस की तरह है जोकि एक पहाड़ी रेल ट्रैक पर चलती है। उक्त कोच में पहाड़ों का सफर करने में सैलानियों को एक अलग ही अनुभूति होगी।  रेल अधिकारियों के अनुसार रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला को भारतीय रेलवे ने कुछ समय पहले कालका-शिमला नैरो गेज (यूनेस्को की विश्व धरोहर) के डिब्बों के आधुनिकीकरण की परियोजना सौंपी थी।

इन डिब्बों के डिजाइन के विकास और उनकी जांच-परीक्षण के लिए नैरो-गेज ट्रैक के मॉडलिंग के लिए कोई डिजिटल डाटा उपलब्ध नहीं था। इसके बावजूद आरसीएफ की डिजाइन टीम ने भारतीय रेल के ब्रॉड गेज सिस्टम के लिए रेल डिब्बों का डिजाइन विकसित करने का प्रयास किया। इसके लिए आरसीएफ डिजाइन टीम ने कालका वर्कशॉप में उपलब्ध पुराने ब्लू प्रिंट और स्केचों का इस्तेमाल कर थ्री-डी मॉडल तैयार किया। इसके बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की गई।

पहले चरण में जो दो कोच (शैल) कालका-शिमला रेल मार्ग पर उतारे थे, उनका ट्रायल सफल रहा था। अब मार्च में चार पैनोरमिक कोच कालका पहुंच जाएंगे। इसके बाद आरडीएसओ की टीम द्वारा इनका ट्रायल किया जाएगा।  – मनदीप सिंह भटिया, डीआरएम, अंबाला रेल मंडल

आरडीएसओ की टीम करेगी ट्रायल
रेल अधिकारियों के अनुसार इन डिब्बों के निर्माण के लिए आरसीएफ की डिजाइन और प्रोडक्शन टीम ने नए डिजाइन के शैल जिग्स, लिफ्टिंग टेकल, स्टेटिक टेस्ट जिग्स, नैरो गेज लाइन, लोडिंग गेज जैसे सभी आवश्यक संसाधनों का इन-हाउस निर्माण किया है। रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद दो प्रोटोटाइप शैल का निर्माण किया गया था। इनका आरसीएफ में अक्तूबर 2022 में आरडीएसओ लखनऊ द्वारा परीक्षण किया गया।

इन दो कोचों (शेलों) को (ऐसी चेयरकार और पॉवर कार) को कालका ले जाया गया, यहां पर तेज व कम स्पीड सहित सैंड बैग भरकर कोच में भार की क्षमता को भी जांचा गया। पिछले वर्ष दिसंबर में इन दो कोच शैल के आसीलेशन ट्रायल की सफलता के बाद अब रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला कालका-शिमला के लिए नए डिजाइन के पैनोरमिक नैरो गेज कोचों के अंतिम परीक्षण शुरू करने की तैयारी कर रही है।

इसके लिए सभी चार प्रकार के एसी एक्जीक्यूटिव चेयरकार, एसी चेयरकार, नॉन-एसी चेयरकार और पॉवर कम लगेज कोच को जल्द ही आरडीएसओ लखनऊ द्वारा विस्तृत आसीलेशन ट्रायल से गुजारा जाएगा। इस विस्तृत आसीलेशन ट्रायल की सफलता के बाद और मंजूरी मिलने पर आरसीएफ इन नए पैनोरमिक कोचों का चरणबद्ध उत्पादन शुरू करेगा।

प्रत्येक ट्रेन में होंगे सात कोच
आरसीएफ 12 सीटों वाली 6 प्रथम श्रेणी एसी चेयरकार, 24 सीटों वाली 6 एसी चेयरकार, 30 सीटों वाली 13 नॉन एसी चेयरकार और 5 पॉवर/सामान/गार्ड वैन सहित 30 अत्याधुनिक नैरो गेज पैनोरमिक कोच का निर्माण करेगा। यह अत्याधुनिक विशेषताओं से युक्त होंगे। इनकी अपग्रेडेड बोगियों और बेहतर ब्रेक सिस्टम के साथ हल्के वजन का शैल शामिल है।

इन कोचों में पैनोरमिक वाइड व्यू विंडो डिजाइन होगा ताकि यात्री पहाड़ों और घाटियों की सुंदरता का अनुभव कर सकें। यह कोच सीसीटीवी और फायर अलार्म जैसी आधुनिक सुरक्षा सुविधाओं से भी लैस होंगे। इस तरह के कोचों की प्रत्येक ट्रेन में 6 यात्री कोच और एक पॉवर/सामान/गार्ड वैन सहित सात कोच होंगे।

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