बीएनएमयू में पीजी डिप्लोमा इन योग कोर्स शुरू होने की जगी उम्मीद योग समिति की बैठक संपन्न

मधेपुरा, आरएनएन।
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में शीघ्र ही पीजी डिप्लोमा इन योग अर्थात् योग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत होने की उम्मीद है। इस निमित्त पाठ्यक्रम एवं परीक्षा विनियम आदि को अंतिम रूप देने हेतु गठित समिति की शुक्रवार को केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित बैठक में इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श कर आवश्यक निर्णय लिए गए। बैठक में सर्वप्रथम नव नालंदा महाविहार, नालंदा में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर डाॅ. सुशीम दुबे ने योग पाठ्यक्रम एवं परीक्षा विनियम का एक प्रारुप प्रस्तुत किया। इसके सभी पहलुओं पर सभी सदस्यों ने विचार-विमर्श किया और आवश्यक सुझाव दिए। तदुपरांत कुछ संशोधनों के साथ इसे स्वीकृति प्रदान की गई।
व्यावहारिक प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पीजी डिप्लोमा इन योग एक नियमित कोर्स होगा, जिसकी अवधि एक वर्ष की होगी। इसका पाठ्यक्रम दो सेमेस्टर में बंटा होगा, दोनों सेमेस्टर में चार-चार पत्र होंगे। पाठ्यक्रम में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

दर्शनशास्त्र विभाग के अंतर्गत संचालित होगा
तत्काल यह कोर्स दर्शनशास्त्र विभाग के अंतर्गत संचालित होगा। आगे इसमें पद सृजन का प्रयास किया जाएगा। साथ ही इसमें आवश्यकतानुसार अतिथि शिक्षकों एवं बाह्य विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी।

स्नातक उत्तीर्ण विद्यार्थी नामांकन ले सकेंगे नामांकन

बैठक में लिए गए निर्णयानुसार पीजी डिप्लोमा इन योग पाठ्यक्रम में किसी भी विषय से स्नातक उत्तीर्ण विद्यार्थी नामांकन ले सकेंगे। विद्यार्थियों के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं रखी गई है।

इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार, अकादमिक निदेशक डॉ. एम. आई. रहमान एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. पी. राजेश उपस्थित थे। श्री श्री विश्वविद्यालय, कटक के कुलपति प्रो. (डाॅ.) बी. आर. शर्मा और योग एवं स्वास्थ्य विभाग, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार (उत्तराखंड) के प्रो. (डाॅ.) सुरेश वर्णवाल ने आनलाइन उपस्थित दर्ज की। बैठक की अध्यक्षता समिति की वरिष्ठ सदस्य सह मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) उषा सिन्हा ने की। संचालन समिति के सचिव सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया।

योग कोर्स शुरू होने की उम्मीद
मालूम हो कि विश्वविद्यालय में कई महिनों से योग कोर्स शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में दर्शनशास्त्र विभाग के प्रस्ताव पर दिसंबर 2020 में आयोजित विद्वत परिषद् की बैठक में एक समीति गठित करने का निर्णय लिया गया था। इस समिति की शुक्रवार को पहली बैठक हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय में योग कोर्स शुरू होने का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।

रोजगार की हैं असीम संभावनाएं

सचिव सह उप कुलसचिव अकादमिक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि पीजी डिप्लोमा इन योग एक रोजगारपरक कोर्स है। इसके शुरु होने से यहां के सैकड़ों विद्यार्थी रोजगार के असीमित अवसरों का लाभ उठा सकेगे। वे योग थेरेपिस्ट, योग इंस्ट्रक्टर, योग टीचर, रिसर्च ऑफिसर आदि के रूप में कार्य कर सकेंगे।
तीन लाख योग प्रशिक्षकों की आवश्यकता
उन्होंने बताया कि भारत में लगभग तीन लाख योग प्रशिक्षकों की आवश्यकता है। विभिन्न शिक्षण संस्थानों, रिसर्च सेंटरों, स्वास्थ्य केंद्रों, जिमों, हाउसिंग सोसाइटियों, कार्पोरेट घरानों, टेलीविजन चैनलों आदि में योग प्रशिक्षकों की काफी मांग है। योग प्रशिक्षकों के लिए भारत के अलावा विदेशों में भी कार्य करने का अवसर है।

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