प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुनी वैज्ञानिक अजय शर्मा के मन की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार

अजय ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को पत्र लिखा कि उन्हें प्रयोगो की सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाए। अजय शर्मा अमेरिका, इग्लैंड, रूस, जर्मनी आदि देशों में व्याख्यान दे चुके हैं। पर आज तक भारत सरकार ने बार-बार पत्रों के बाद इस विषय पर कोई सेमिनार नहीं करवाया । प्रधानमंत्री कार्यालय ने पहले मार्च और फिर अगस्त 2022 महीने में केन्द्रीय विज्ञान सचिव को पत्र लिखा और इस विषय पर कार्यवाही कर के प्रधानमंत्री कार्यालय के पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिये। अजय को कार्यवाही का इन्तजार है।

अजय शर्मा वर्षो से कह रहे हैं कि ये प्रयोग सफल होगें और भारत की शोध दुनिया के स्कूलों में पढाई जाएगी

अजय शर्मा के मन की बात :

* न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन के लिए कुछ प्रयोगो की जरूरत

**2018 में अमेरिकी वैज्ञानिक ने वाशिगटन कान्फरैस में अजय का उत्साह बढ़ाया था। कहा था कि न्यूटन के नियम में संशोधन से भारत को मिलेगा नोबेल प्राईज। अजय ने नये प्रयोग सुझाये है।

***अन्र्तराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की सिफारशों के बाद भी सरकार से नहीं मिली अजय को प्रयोगो की सुविधाए

 

न्यूटन के तीसरे नियम की खामी यह है कि नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। इस लिए अजय शर्मा ने न्यूटन के नियम का संशोधन किया है। 1896 में रशियन वैज्ञानिक सलिकोबसकाइ ने न्यूटन के नियम पर आधारित राकेट इक्वेसन डिराइव की थी। पर आज तक इस इक्वेसन (समीकरण) को साधारण अतिशवाजी (फायर वर्कस) के लिए भी सिद्ध नही किया है। पर न्यूटन के नियम को बिना परखे सभी अवस्थाओं में सही माना जा रहा है। इसी मुद्दे को अजय वर्षो से उठा रहे हैं।

अमेरिकन एसोसियन आफ फिजिक्स टीर्चस वाशिगटन, नैशनल फिजिकल लैबोरेटरी, नई दिल्ली और कई संस्थाओं के वैज्ञानिक चार साल पहले इन प्रयोगों की पुष्टि कर चुके है। पर सरकार के सहयोग के बिना ये प्रयोग नही हो पा रहे है।

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