प्रदेश में इस साल दस महीने में सडक़ दुर्घटनाओं का ग्राफ दो हजार पार, 866 ने गंवाई जान

प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस साल दस माह में सडक़ हादसों का ग्राफ दो हजार के पार पहुंच चुका है, जिसमें 800 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और घायलों का आंकड़ा तीन हजार के पार पहुंच गया है। तेज रफ्तार कंा जुनून, चालकों की लापरवाही और नियमों की अवेहलना से प्रदेश में सडक़ हादसों का ग्राफ चिंताजनक तौर पर बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार छह महीने में ही चार जिलों कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर में सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या 200 पार कर गई है। जिला कांगड़ा में तो यह आंकड़ा साढ़े 300 की संख्या को छू रहा है। दस महीने में प्रदेश में दर्ज हुए कुल 2152 सडक़ हादसों में 866 लोगों की मौत हुई, जबकि घायलों का आंकड़ा 3401 रहा। इस दौरान सबसे अधिक सडक़ दुर्घटनाएं जिला कांगड़ा में दर्ज की गई हैं, जहां यह आंकड़ा 341 तक जा पहुंचा है।

इस सूची में 297 के आंकड़े के साथ जिला शिमला दूसरे, तो 273 सडक़ हादसों के साथ जिला मंडी तीसरे और 217 की संख्या के साथ जिला सिरमौर चौथे स्थान पर रहा है। प्रदेश में हर रोज औसतन करीब सात सडक़ हादसे सामने आ रहे हैं। अक्तूबर तक चार जिलों में सडक़ हादसों की संख्या सौ से कम रही है। जिला लाहुल-स्पीति में यह आंकड़ा 25, जिला किन्नौर में 32, जिला चंबा में 84 और जिला हमीरपुर में 94 सडक़ हादसों के मामले दर्ज हुए हैं। सडक़ हादसों का बढ़ रहा ग्राफ निश्चित तौर चिंता का सबब बनता जा रहा है। इस अवधि में जिला बिलासपुर में 144, जिला उना में 190, जिला कुल्लु में 185, जिला सोलन में 141, मामले सामने आ चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि प्रदेश की सडक़ों पर वाहन हादसों का सबसे बड़ा कारण चालकों की लापरवाही है।

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