प्रत्येक ट्रक ऑपरेटर बीते दो माह में दो लाख के करीब नुकसान झेल चुके, बैंकों का 22 करोड़ रुपये फंसा

दाड़लाघाट में अंबुजा प्लांट पर तालाबंदी को आज 63 दिन पूरे हो गए हैं। मुख्यमंत्री से कई बैठकों के बाद भी मामला सुलझ नहीं पाया है। ऐसे में इन दो माह में ट्रक ऑपरेटरों की हालत खराब हो चुकी है। 80 फीसदी से ज्यादा ट्रकों की किस्तें बैंकों में जमा नहीं हो पाई हैं। दाड़लाघाट, अर्की और आसपास के करीब आधा दर्जन बैंकों का दो माह से 22 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। बैंकों से लगातार ट्रक ऑपरेटरों को नोटिस और फोन आ रहे हैं।

अप्रैल में ट्रक ऑपरेटरों का गुड्स टैक्स भी जमा होगा। इसमें एक ट्रक का टैक्स छह से 18 हजार रुपये तक होता है। बीमा का भी संकट छाने लगा है। ऐसे में अब ट्रक ऑपरेटरों पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। उधर, एसडीटीओ के पूर्व प्रधान रामकृष्ण शर्मा ने कहा कि 63 दिन बाद भी मामला सुलझ नहीं पाया है। ऐसे में ऑपरेटरों की हालत खराब होती जा रही है। बैंकों की किस्तें दो माह से रुकी पड़ी हैं। गुड्स टैक्स, बीमा समेत अन्य टैक्स का समय आ गया है। कंपनी नहीं खुली तो हालात गंभीर होंगे। संवाद

दाड़लाघाट से 3,007 से ज्यादा ट्रक पंजीकृत हैं। इनसे हर साल सरकार को 22 करोड़ के करीब टैक्स आता है। यह टैक्स एक अप्रैल के बाद जमा होता है। इसमें गुड्स टैक्स के अलावा, टोकन टैक्स, नेशनल परमिट हैं। आंकड़ों के अनुसार दाड़लाघाट की आठ सोसायटियों से हर साल यह टैक्स सरकार के खाते में जमा होता है। अगर मामला नहीं सुलझता है तो ट्रक ऑपरेटर कोई भी टैक्स जमा नहीं करवा पाएंगे। इन टैक्सों के जमा होने के बाद ही ट्रक ऑपरेटर ट्रकों को चला पाते हैं।

दाड़लाघाट में प्रत्येक ट्रक ऑपरेटर बीते दो माह में दो लाख के करीब नुकसान झेल चुके हैं। रोजाना एक ट्रक ऑपरेटर 3,000 रुपये का नुकसान झेल रहा है, क्योंकि हर ऑपरेटर को प्रतिमाह 90 हजार से ज्यादा का काम मिलता था। दाड़लाघाट से सीमेंट के अलावा क्लींकर की सप्लाई भी ट्रकों में ही जाती थी, जिसका उन्हें अच्छा खासा मालभाड़ा मिलता था। मगर दो माह से ट्रकों के खड़े होने से अब उनका नुकसान बढ़ता जा रहा है

दाड़लाघाट में करीब 200 दुकानें हैं, जो पूरी तरह से सीमेंट प्लांट पर निर्भर हैं। प्लांट में तालाबंदी के बाद अब तक 60 फीसदी दुकानों पर ताले लटक चुके हैं। इनमें मेकेनिक, स्पेयर पार्ट, टायर पंचर, ढाबे और वेल्डिंग की दुकानें शामिल हैं। हालांकि, शुरुआत में इन लोगों ने यह सोचकर दुकानें बंद की थीं कि जल्द मामला सुलझ जाएगा, मगर अब दो माह से अधिक समय बीतने पर भी मामला नहीं सुलझ पाया है। ऐसे में कई दुकानदार स्थायी तौर पर अपनी दुकानें बंद कर चले गए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button