निजीकरण के विरोध में बिजली इंजीनियर करेंगे दिल्ली में प्रदर्शन

लखनऊ 22 नवंबर  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 और निजीकरण के विरोध में देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर बुधवार को दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन करेंगे।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आवाहन पर विभिन्न प्रांतों के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का प्रदर्शन सुबह 11 बजे जंतर मंतर पर प्रारंभ होगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के सभी घटक श्रम संघों व संगठनों के हजारों सदस्य दिल्ली कूच करेंगे।
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को लोकसभा में प्रस्तुत किया उससे देशभर में बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि दादरा नगर हवेली दमन और दीव में बिजली विभाग का निजीकरण किया गया और केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़ और पुडुचेरी में निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है उसके प्रति भी अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों की संख्या में बिजली कर्मचारी दिल्ली में प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिये आ रहे हैं।
बिजली कर्मचारियों की मुख्य मांग है इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 और निजी करण की सारी प्रक्रिया वापस ली जाए, बिजली निगमों का एकीकरण कर केरल में केएसईबी लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश में एचपीएसईबी लिमिटेड की तरह सभी राज्यों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए, तेलंगाना व पंजाब की तरह सभी राज्यों में आउटसोर्स और संविदा पर कार्यरत सभी बिजली कर्मचारियों को नियमित किया जाए, नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाए और बिजली को मौलिक अधिकार घोषित किया जाए।
उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को होने वाली रैली में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को आगाह किया जाएगा कि यदि बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए बगैर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 पारित करने की कोई भी एक तरफा प्रक्रिया की गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।

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