नाबार्ड 41 वर्षों में सुपरिभाषित राष्ट्रीय पद चिन्ह के साथ बहुआयामी विकासात्मक वित्तीय संस्थान के रूप में विकसित हुआ है

नाबार्ड 41 वर्षों में सुपरिभाषित राष्ट्रीय पद चिन्ह के साथ बहुआयामी विकासात्मक वित्तीय संस्थान के रूप में विकसित हुआ है। यह विचार आज भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक आर.एस. अमर ने ऐतिहासिक रिज मैदान के पदम देव काॅम्पलैक्स में नाबार्ड के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय नाबार्ड राज्य स्तरीय मेले 2022 के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड एक पुर्नवित निकाय और ग्रामीण सहकारिता समितियों के पर्यवेक्षक होने के साथ-साथ राज्यों में ग्रामीण बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड अपने स्वयं सहायता समूहों बैंक सहबद्धता माॅडल के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में मदद करके आदिवासी क्षेत्रों से विकास के लिए योजनाएं आरम्भ करने तथा जलागम विकास, जैविक खेती, किसान क्लब आदि के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देकर नाम कमाया है।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने वर्ष 2021-22 के लिए हिमाचल प्रदेश को लगभग 4 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिसके तहत प्रदेश में ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास कृषि कार्यों के लिए वित पोषण हेतु क्षेत्रीय ग्रामीण व सहकारी बैंकों को वित्तिय सहायता तथा सम्बद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को पुर्नवित सहायता शामिल है। इसके अतिरिक्त विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत वितरित अनुदान भी सम्मिलित है, जिसके माध्यम से प्रदेश सरकार की किसान की आय को दोगुना करने के लक्ष्य में सहायता मिल रही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड ने विगत कई वर्षों से संयुक्त रूप से जुड़कर अनेक कार्यों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
मुख्य महा प्रबंधक नाबार्ड डाॅ. सुधांशु के.के. मिश्रा ने बताया कि नाबार्ड द्वारा प्रायोजित मेलों का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों, बंुकरो, कारीगरों और किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहित करना और उन्हें अपनी कलाकृतियों और अपने उत्पाद बेचने के लिए एक मंच देना है। हमारे देश में बहुत से कलाकार है जो अपने कामों को प्रदर्शित करने के लिए संघर्ष करते हैं और नाबार्ड उन्हें वह अवसर प्रदान करने की कोशिश करता है। इस दिशा में हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय पिछले कई वर्षों से मेलों का आयोजन करता आ रहा है।
उन्होंने कहा कि सतत्, न्याय संगत कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए सहभागी वित्तिय और गैर वित्तिय हस्तक्षेपों, नवाचारों, प्रौद्योगिकी और संस्थागत विकास के माध्यम से समृद्धि हासिल करने के लक्ष्य में रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने सदैव सहयोग किया है।
उन्हांेने बताया कि तीन दिवसीय इस मेले में जिला मण्डी, कांगड़ा, सिरमौर, चम्बा, बिलासपुर, हमीरपुर, किन्नौर, सोलन, ऊना, शिमला, लाहौल-स्पीति व कुल्लू के 35 स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों और कृषक उत्पादन संगठनों द्वारा निर्मित उत्कृष्ट उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री आयोजित की गई।.

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