धनतेरस पर मिर्जापुर के मशहूर ‘बिन पेंदी के लोटे’ को दिन बहुरने की आस

मिर्जापुर

हिंदी पट्टी में ‘बिन पेंदी का लोटा’ भले ही अब लोकप्रिय कहावत बन कर रह गया हो, लेकिन इस लाेटे ने कभी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर को पीतल नगरी का तमगा दिलाया था। अतीत का हिस्सा बन चुके मिर्जापुर के मशहूर बिन पेंदी के लोटे और अन्य कलात्मक बर्तन अब धनतेरस के बाजार में भी नहीं दिखते हैं।
शनिवार को धनतेरस के पर्व पर मिर्जापुर में बर्तनों की ब्रिक्री के लिए दुकानें तो सजी गयी हैं, मगर पीतल के कलात्मक बर्तन नदारद है। बिन पेंदी का मशहूर मिर्जापुरी लोटा अब अतीत की बात हो गया है।
शताब्दियों पुराना मिर्जापुर का पीतल उद्योग लगभग बंदी की कगार पर है। हालांकि मौजूदा भाजपा सरकार की ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना के तहत मिर्जापुर के पीतल उद्योग को शामिल करने एवं स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के प्रयासों से इसे जीवन दान मिलने की उम्मीद जगी है।
यहां बने पीतल के बर्तनों की मांग देश भर में थी। रूई, लाह और चपडा उद्योग समाप्त होने के बाद पीतल उद्योग यहां का मुख्य व्यवसाय था। दीपावली के दिनों में यहां की मंडियों में सोना बरसता था। इसी वजह से यहां के कसरहट्टी मोहल्ले का नामकरण ‘सोनबरसा’ पड़ गया था। आज भी इस क्षेत्र को सोनबरसा के नाम से जाना जाता है। इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50 हजार लोग जुड़े थे। अब स्थिति भिन्न है।
बाजार के जानकारों की राय में एक तरफ मिर्जापुरी बर्तनों की मांग में मंदी के चलते कारखाने बंद हो गए हैं। वहीं मजदूर भी बेकारी के चलते दूसरे जगहों पर काम की तलाश कर बेकारी मिटाने का असफल प्रयास कर रहे हैं। लाह, चपडा उद्योग के ढलने के बाद अब बर्तन मंडी में आईं गिरावट के क‌ई कारण गिनाये जा रहे हैं। खासतौर पर पीतल उद्योग को चौपट करने में दोषपूर्ण सरकारी नीतियों एवं उपेक्षात्मक रूख के अलावा बिक्रीकर जैसी की दोषपूर्ण उगाही तो है ही, वहीं यहां के व्यापारी भी कम दोषी नहीं है।
असल में उन्होंने समय के साथ चलने वाले कदम ही नहीं उठाये। मिर्जापुर में मुख्य रूप से पीतल के लोटे गगरा, हंडा, परात, पतीला, घंटा, कड़ाही आदि बनाएं जाते हैं। कच्चा माल गलाने के लिए भंठी का प्रयोग होता है। तांबा और जस्ता को उचित मात्रा में मिलाकर उच्च कोटि का पीतल तैयार किया जाता है। यहां का पीतल गुणवत्ता की दृष्टि से आज भी पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखता है।

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