हिमालय पार कर अपना आशियाना बनाने गोगाबिल झील पहुंचने लगे प्रवासी पक्षी

हिमालय पार कर अपना आशियाना बनाने गोगाबिल झील पहुंचने लगे प्रवासी पक्षी

कटिहार, आरएनएन।
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बिहार के महत्वपूर्ण जलाशयों में प्रवासी पक्षियों का कलरव शुरू हो जाता है। इस सन्दर्भ में बिहार राज्य के कटिहार जिले में स्थित प्रसिद्ध गोगाबिल पक्षी अभयारन्य भी अछूता नहीं है। बिहार के कटिहार जिले में स्थित गोगाबिल झील को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा राज्य का पहला संरक्षण रिजर्व घोषित किया गया है।

यह स्थान प्रवासी एवं स्थानीय पक्षी दोनों के लिए एक अनुकूल जगह है। इस सन्दर्भ में रविवार को पक्षी विशेषज्ञों की टीम ने गोगाबिल बर्ड कम्युनिटी रिजर्व का दौरा किया तथा वहां पाए जाने वाले पक्षियों का गहन अध्ययन किया। पक्षी विशेषज्ञ एवं एशियाई वाटरबर्ड सेंसस के कोआॅर्डिनेटर राहुल रोहिताशव ने बताया कि ठंड का मौसम शुरू होते ही उत्तर बिहार के क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों का जमघट शुरू हो जाता है, जो हिमालायी क्षेत्रों को पार कर बिहार के तराई क्षेत्रों में अपना अस्थायी आशियाना बना लेते हैं।

गोगाबिल पक्षी अभयारन्य बिहार का संरक्षित क्षेत्र है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधान के तहत राज्य वन्यजीव बोर्ड ने 2002 में संशोधित, 2 अगस्त, 2019 को गोगाबिल को सामुदायिक रिजर्व के रूप में शामिल किया था तथा गोगाबिल, बाघारबील और बलदिया चौर एशिया के महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (आईबीए) में सूचीबद्ध महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि भी हैं। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर तथा एडब्लूसी बिहार के समन्वयक ज्ञानचंद्र ज्ञानी ने बताया कि गोगाबिल झील लगभग एक से पांच किमी की आॅक्सबो झील है। जिसमें साल भर पर्याप्त पानी रहता है तथा यह स्थान दिनोंदिन पक्षियों के लिए एक बेहतर जगह बनती जा रही है। जलीय वनस्पतियों से समृद्ध है जो सर्दियों में प्रवासी पक्षियों को प्रचुर मात्रा में भोजन प्रदान करता है। इस अध्ययन दल के अन्य सदस्य एशियाई जल पक्षी गणना के समन्वयक दीपक कुमार झूंन्नू सह पक्षी विशेषज्ञ कि भूमिका काफी सराहनीय रही। उन्होंने अध्ययन दल का समुचित रूप से मार्गदर्शन भी किया।

 

दल ने झील एवं उसके आस पास के क्षेत्रों में कई प्रवासी व गैर प्रवासी पक्षियों का गहन अध्ययन किया।

इस संबंध मे उन्होंने बताया कि गोगाबिल झील पर्यटन स्थल के नजरिये से भी काफी मुफीद है और इसको बचाने का हमें समुचित प्रयास करना होगा। ज्ञानचंद्र ज्ञानी ने बताया कि गोगाबिल झील में पक्षियों कि संख्या अभी कम है, हालांकि प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला जारी है। जिनमें मुख्य रूप से प्रवासी बत्तखों में गडवाल डक, गागीर्ने डक, बार हेडड गुज के अलावा अन्य प्रवासी पक्षियों में बूटेड ईगल, हिमालयन बजर्ड, ब्राउन श्राईक, लॉन्ग टैल्ड श्राइक, यूराशियाई कूट, कॉमन सैंडपाइपर, ग्रीन सैंडपाइपर, वुड सैंडपाइपर, टैगा फ्लाईकैचर, सिट्रिन वैगटेल, वाइट वैगटेल, पलास गल, वेस्टर्न येलो वैगटेल, रोजी पीपीट, ब्लैक हेडड गल आदि पक्षी देखने को मिले। दूसरी ओर स्थानीय पक्षियों में ब्लैक काईट, क्लामोरोस रीड वर्बलर, रिवर टर्न, बंगाल बुशलार्क, प्लेन प्रिनिआ, पाइड किंगिफशर, पर्पल हेरोन, ग्रे हेरोन, ग्रेट एग्रेट, रेड-नेप्ड आईबिस, वाइट आईबिस, ग्रेट कोरमोरेंट, लिटिल कोरमोरेंट, लेसर एडजूटेंट स्टॉर्क, एशियन ओपन बिल्ड स्टॉर्क, वाइट बरेस्टेड वाटरहेन, फेसेंट टैल्ड जकाना, स्टॉर्क बिल्ड किंगिफशर, स्माल मिनिवेट, ब्लैक ड्रोनगो, कॉमन किंगिफशर, जंगल बैबलर, ओरिएंटल मैगपाई रोबिन, ब्रोंज विंग जकाना, ट्री पीपीट, एशियाई ग्रीन बी ईटर, कॉमन टेलरबर्ड, डुस्की वार्बलर, कॉमन चीफचैफ, हॉउस स्पेरो, यूराशियाई कॉलर्ड डव, स्पॉटेड डव, एशियाई पाल्म स्विफ्ट, ग्रे हेडड स्वाम्पहेन, वाइट ब्रेस्टेड वाटरहेन, रेड वेटल्ड लैपविंग, आदि पक्षी भी काफी संख्या में दिखे।

उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग झील के संरक्षण में अपना संपूर्ण योगदान दें तथा इन पक्षियों को किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचाएं। इस दल में राहुल रोहिताशव, ज्ञान चंद्र ज्ञानी, दीपक कुमार झून्नू, रिसर्च स्कॉलर जय कुमार जय, बर्ड गाइड चन्दन, दिव्यांशु आदि शामिल थे।

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