चिट्टे के आदी को जेल नहीं बल्कि,उसे चिकित्सा और पुनर्वास की आवश्यकता है

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 23 वर्षीय युवक को चिट्टे रखने के मामले में जमानत दे दी है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने अपने निर्णय में कहा कि चिट्टे के आदी को जेल नहीं बल्कि चिकित्सा उपचार की जरूरत है। अदालत ने कहा कि समाज में नशीली दवाओं के दुरुपयोग का खतरा अज्ञात नहीं है। यदि याचिकाकर्ता स्वयं नशीली दवाओं के दुरुपयोग का शिकार है तो उसे चिकित्सा और पुनर्वास की आवश्यकता है न कि बिना दोषसिद्धि के कैद की। मामले के अनुसार 11 अक्तूबर 2022 को पुलिस ने आरोपी विपुल वर्मा और दो अन्य युवकों से 9.08 ग्राम चिट्टा बरामद किया था। पुलिस को गोपनीय सूचना थी कि तीन युवक चिट्टे की तस्करी के लिए धर्मपुर से शिमला वाया बड़ोग जा रहे हैं। पुलिस ने दानोघाट के पास नाका लगाया और रात करीब 11 बजे आरोपियों की गाड़ी रोकी।

तलाशी के दौरान पुलिस ने गाड़ी से 9.08 ग्राम चिट्टा बरामद किया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पुलिस थाना सोलन में मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम की धारा 21 और 29 के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने याचिकाकर्ता समेत दो अन्य युवकों को हिरासत में लिया। पुलिस जांच में आरोपियों ने बताया कि उन्हें चिट्टे की लत लग गई है। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की मां ने अदालत को बताया कि उसके बेटा चिट्टे का आदी है। उसका कई बार इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में इलाज करवाया गया, लेकिन उससे चिट्टे की आदत नहीं छूटी। अदालत ने पाया कि मामले में सक्षम अदालत के समक्ष चालान पेश कर दिया गया है। अभियोग के विचारण में समय लग सकता है। तब तक आरोपी को हिरासत में रखना उचित नहीं है।

 

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