ग्रामीण विकास गतिविधियों में नाबार्ड की भूमिका अहम

 

नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) हरियाणा के क्लस्टर अधिकारियों की चौथी बीएसएम आज डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में शुरू हुई। बैठक का उद्घाटन नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने किया और इसमें हरियाणा में बैंक के जिला विकास प्रबंधकों ने भाग लिया।

अधिकारियों का स्वागत करते हुए प्रोफेसर चंदेल ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और अन्य संबद्ध आर्थिक गतिविधियों के प्रचार और विकास के लिए ऋण प्रवाह और अन्य हस्तक्षेपों को सुविधाजनक बनाने में नाबार्ड जैसे वित्तीय संस्थानों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थान बैंक के सहयोग से किसानों की आय बढ़ाने के लिए विकसित विभिन्न कृषि मॉडलों को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित कर सकते हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को बड़े स्तर पर बढ़ाने की संभावनाओं की तलाश करें। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि विश्वविद्यालय और नाबार्ड छात्रों और किसानों को अपना उद्यम और किसान उत्पादक कंपनियां शुरू करने के लिए ज्ञान देने के लिए एक अल्पकालिक पाठ्यक्रम शुरू करने की दिशा में काम कर सकते हैं।

नाबार्ड हरियाणा की सीजीएम दीपा बी गुहा ने इस अवसर पर कहा कि यह बैठक अधिकारियों के लिए क्रॉस-लर्निंग अभ्यास का हिस्सा है और इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में सक्षम बनाना होगा। उन्होंने कहा कि यह दौरा नवीनतम तकनीकों, विशेष रूप से प्राकृतिक खेती के बारे में जानने का भी अवसर होगा, जिसे बैंक हरियाणा में बढ़ावा देना चाहता है। गुहा ने कहा कि बैंक किसान उत्पादक संगठनों को विश्वविद्यालय का दौरा करवाएगा ताकि वह भी अपने स्तर पर देखें कि कौन से मॉडल को उनके द्वारा अपनाया जा सकता है।

सीजीएम हिमाचल डॉ. सुधांशु मिश्रा ने प्रदेश में बागवानी के विकास के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने राज्य में बैंक द्वारा शुरू की गई विभिन्न ग्रामीण विकास परियोजनाओं के बारे में भी बताया। बैठक के दौरान हरियाणा में मिट्टी सुधार, जल संरक्षण और नई आईओटी-आधारित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए बैंक द्वारा समर्थित हस्तक्षेपों का भी उल्लेख किया गया। चौपाल नैचुरलस एफ़पीसी के अध्यक्ष विनोद मेहता ने उनकी एफ़पीसी के बारे में एक प्रस्तुति दी। विश्वविद्यालय की पोस्ट हार्वेस्ट सुविधाओं, फ्लोरल क्राफ्ट लैब, कीटनाशक अवशेष प्रयोगशाला, टिश्यू कल्चर और वन उत्पाद प्रयोगशालाओं, प्राकृतिक खेती प्रायोगिक ब्लॉक, कीवी ब्लॉक, हाई-डेंसिटी सेब प्लांटेशन और हाई-टेक फ्लोरिकल्चर लैब का भी दौरा किया गया।

डॉ. संजीव चौहान, निदेशक अनुसंधान; डॉ. इंदर देव, निदेशक विस्तार शिक्षा, श्री संदीप नेगी, रजिस्ट्रार, डॉ. सी.एल. ठाकुर, डीन कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री; डॉ. अंजू धीमान, लाइब्रेरियन, डॉ. माया देवी, जीएम हरियाणा, श्री विनोद आर्य, जीएम हरियाणा, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों और चौपाल नैचुरलस एफ़पीसी के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों ने इस बैठक में भाग लिया।

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