कृषि विज्ञान केन्द्र सोलन ने मनाया सेब दिवस एवं किसान मेला
शनिवार को कंडाघाट स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र सोलन में सेब दिवस एवं किसान मेला का आयोजन किया गया। यह मेला विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के अन्तर्गत मनाया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की तथा विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ रविंदर शर्मा व निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ दिवेन्द्र गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में एरिफ इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल सुरेन्द्र नाथ कुड़ा तथा औद्यानिकी अनुसंधान केन्द्र के पूर्व प्रभारी डॉ आर एस रतन बतौर विशिष्ट अतिथि सम्मिलित हुए। इस किसान मेला में सोलन, शिमला तथा सिरमौर जिले के 300 किसानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के शुरुआत में केन्द्र के प्रभारी डॉ जितेन्द्र चौहान ने सभी अतिथियों का स्वागत किया व कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उसके पश्चात विश्वविद्यालय के फल विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ॰ डी पी शर्मा ने सेब की सघन खेती की विस्तृत जानकारी दी तथा इसके पश्चात् किसान वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें किसानों के प्रशनों का वैज्ञानिकों ने हल सुझाया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विभाग तथा किसानों व 15 महिला कृषक समूहों द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
किसानों द्वारा लाई गई सेब की उत्कृष्ट प्रविष्टियों के लिए अनिल भगनाल, गांव कटोगड़ा, चौपाल नैचुरलस तथा परीक्षित चौहान को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया। इसके पश्चात् किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र के उच्च घनत्व सेब के बागीचे का भ्रमण करवाया गया।
इस अवसर पर प्रोफेसर चंदेल ने कहा की किसानों और वैज्ञानिकों को मिलकर कार्य करने की ज़रूरत है क्योंकि सभी का लक्ष्य एक है- शुद्ध और उच्च क्वालिटी खाद्य वस्तुओं का उत्पादन कर आय में बढ़ोतरी करना। प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि कृषि में लोकल इंडस्ट्री को शामिल कर स्थायी कृषि उत्पादों को विकसित करने की दिशा में काम करें जिनकी स्थानीय स्तर पर मरम्मत की जा सके। उन्होंने पारंपरिक खाद्य पदार्थों के उपयोग की वकालत की जिससे भोजन में पोषक तत्वों की कमी की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है। प्रोफेसर चंदेल ने किसानों को प्राकृतिक खेती पद्धति को छोटे स्तर से ही अपने अपने घरों से शुरू करने का आग्रह किया।
इस कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ आरती शुक्ला, डॉ सीमा ठाकुर, डॉ राजेश ठाकुर, डॉ मीरा ठाकुर व फार्म मैनेजर डी डी शर्मा भी उपस्थित रहे