कांग्रेस के नेता अपनी ही पार्टी से खुश नहीं: देवेंद्र राणा

शिमला
प्रदेश भाजपा चुनाव सह प्रभारी देवेंद्र राणा ने  मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की जनता ने रिवाज बदलने की ठान ली  है।  इस बार फिर से भाजपा की सरकार बनाना तय है।  उन्होंने कांग्रेस की अंतर्कलह और कमजोर नेतृत्व का जिक्र किया। राणा ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने अपने मन की बात कहते हुए कबूल कर लिया कि उनकी पार्टी में न तो तंत्र हैं और न ही नेतृत्व। स्व0 वीरभद्र सिंह की पत्नी होने के नाते प्रतिभा सिंह भांप गई हैं कि क्या होने वाला है, इसलिए उन्होंने भी चुनाव आने से पहले ही हार मान ली है। देवेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश में रिवाज जरूर बदलेगा और फिर से भाजपा की सरकार बनेगी।  राणा ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने आम लोगों से भी मुलाकात की और सभी मान रहे हैं कि हिमाचल की जयराम सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में अभूतपूर्व विकास एवं जनहित के कार्य किए हैं।   राणा ने कहा कि पूरे प्रदेश भर में आज मण्डी चलो कि गूंज है। प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रति जोश और उत्साह है। युवा आज के समय में जानता है कि देश को सुढ़ड करने में कोई सक्षम है तो वो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है। दूसरी तरफ कांग्रेस पूरी तरह से बिखराव की ओर है उनके पास न नेता है और न नीति है न नियति है।

प्रदेश भाजपा चुनाव सह प्रभारी देवेंद्र राणा ने कहा कि आज देश और प्रदेश में कांग्रेस के नेता ही उनकी पार्टी से खुश नहीं हैं। बीते दिनों जम्मू.कश्मीर से कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा दिया। उसके बाद पूर्व केंद्र मंत्री आनंद शर्मा ने इस्तीफा दिया और हाल ही में हिमाचल के ही रामलाल ठाकुर ने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। यही वजह है कि आज कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के नेता, पदाधिकारी और उनके कार्यकर्ता खुद को असुरक्षित समझ रहे हैं। राणा ने कहा कि भाजपा के पास सृढ़ड संगठन एवं मजबूत कार्यक्रता जो संगठित होकर आगामी चुनाव में उतरेगा और कांग्रेस के नेतृत्ववहीन संगठन को कारारा जवाब देगा। भाजपा की भवय इमारत कार्यक्रतों की मजबूत नीव पर खड़ी है। एक सवाल के जवाब में देवेंद्र राणा ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में कोई मतभेद नहीं हैं। सभी एकजुट हैं और इकट्ठे होकर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। देवेंद्र राणा ने कहा कि संसदीय बोर्ड और पार्टी के आलाकमान के फैसले के बाद ही टिकटों का आवंटन होगा और सब मिलकर रिवाज बदलेंगे जैसे उत्तराखंड उत्तर प्रदेश में बदला है ।

 

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