उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाला सुंदरी त्रिलोकपुर के परिसर में प्राचीन बरगद के पेड़ पर बेरहमी से कुल्हाड़ी चलाने का मामला सामने आया

 

नाहन, 03 दिसंबर : उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाला सुंदरी त्रिलोकपुर के परिसर में प्राचीन बरगद के पेड़ पर बेरहमी से कुल्हाड़ी चलाने का मामला सामने आया है। मामले ने खासा तुल पकड़ लिया है। आनन-फानन में मंदिर न्यास (Temple Trust) ने सर्वेयर को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक शिव मंदिर  के समीप स्थित विशालकाय बरगद  पर अचानक ही कुल्हाड़ी चलनी शुरू हो गई। इसको लेकर मंदिर न्यास ने कोई भी अनुमति नहीं ली थी। सवाल उठता है कि मनमर्जी से ही विशाल बरगद के पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने का साहस कैसे जुटा लिया गया। मौके से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार को इस मामले में खासा बवाल मच गया। हिंदू जागरण मंच ने भी मामले में दखल दिया हैं।

जानकारी यह भी सामने आई है कि बवाल होने के बाद सबसे पहले पेड़ को काटने का कार्य तत्काल प्रभाव से रोका गया। इसके बाद सर्वेयर की जिम्मेदारी को तय कर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। बता दें कि मंदिर परिसर में मौजूद बरगद के पेड़ की एक अलग ही शान रही है।

अहम बात यह भी है कि माता बाला सुंदरी का प्राचीन मंदिर भी बरगद के पेड़ के नीचे ही है। सवाल उठाया जा रहा है कि जब इस तरह के अवैध कार्य को अंजाम देने का साहस उठाया जा सकता है तो आने वाले वक्त में प्राचीन मंदिर के परिसर (Temple Premises) से भी बरगद के पेड़ को मनचाहे तरीके से काटने का प्रयास किया जा सकता है।

लिहाजा मंदिर न्यास को इस मामले को गंभीरता से लेकर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। सवाल इस बात पर भी पैदा होता है कि पेड़ की कटाई करने वालों ने कार्य को शुरू करने से पहले मंदिर न्यास के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का प्रयास क्यों नहीं किया कि पेड़ को काटने की अनुमति है या नहीं। 

उल्लेखनीय यह भी है कि त्रिलोकपुर मंदिर न्यास की कार्यशैली को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे है। एक बड़ी बात ये भी है कि क्या सर्वेयर ने अपने ही स्तर पर पेड़ को काटने या लॉपिंग का फैसला लिया या फिर अन्य कर्मचारियों व अधिकारी भी सहमति में शामिल थे।    

उधर, मंदिर न्यास के सहायक आयुक्त व एसडीएम रजनीश कुमार ने मामले को गंभीर माना है। उन्होंने सर्वेयर को कारण बताओ नोटिस जारी करने की पुष्टि की है। एसडीएम ने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट को तलब किया गया है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पेड़ की लॉपिंग (Loping) की कोशिश की जा रही हो। 

एसडीएम ने कहा कि लॉपिंग को लेकर भी कोई अनुमति उनके संज्ञान में नहीं है। एक अन्य सवाल के जवाब में एसडीएम ने कहा कि कारण बताओ नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने की स्थिति में सस्पेंशन की जा सकती है। इसके अलावा विभागीय जांच भी अमल में लाई जा सकती है।

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