आज भी कांग्रेस के गढ़ है रोहड़ू- रामपुर
शिमला
हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों में गतिविधियां तेज हो गई है.इस कड़ी में जहां कांग्रेस ने भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का बड़ा विकेट लिया तो भाजपा ने भी कांग्रेस के 2 विधायकों के कैच लपक कर उन्हें अपने पाले में डाल दिया। हिमाचल में नेताओं के उठापटक का यह दौर आने वाले समय में गति पकड़ेगा। कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि सत्ता परिवर्तन होकर रहेगा वहीं भाजपा मिशन रिपीट को लेकर आश्वस्त है।
बहरहाल भले ही प्रदेश में पांच 5 सालों के बाद सत्ता परिवर्तन का दौर चलता रहा है लेकिन जिला शिमला की 2 विधानसभा सीटें रोहरु और रामपुर ऐसी है जो ना कांग्रेस का गढ़ है बल्कि भाजपा इस किले में सेंधमारी नहीं कर पाई है।
प्रदेश में ज्यादा पीछे न जाते हुए अगर विगत 29 सालों के 6 विधानसभा चुनाव पर दृष्टिपात किया जाए तो कांग्रेस का डंका लगातार यहां पर बजता रहा है। इस दौरान चुनाव में भाजपा को यहां पर मायूसी ही मिलती रही है। केंद्र व प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो या ना हो लेकिन इन दो विधानसभा क्षेत्रों में इसका असर देखने को नहीं मिलता. कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक यहां बीजेपी को आसपास भी फटकने नहीं देता है। यूं तो ऊपरी शिमला में कांग्रेस का वोट बैंक परंपरा से रहा है लेकिन बावजूद इसके चौपाल, जुब्बल- कोटखाई व ठियोग विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी ने अपनी दमदार उपस्थिति से कांग्रेस को कई बार मात दी लेकिन इन दो विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगा कर अपनी उपस्थिति विधानसभा में दर्ज नहीं कर पा रही है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुके दिवंगत वीरभद्र सिंह का क्षेत्र में आज भी वही प्यार व सम्मान बरकरार है। 2012 में रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र के आरक्षित होने से पूर्व वह हमेशा ही 30,000 से अधिक वोट यहां पर लेते रहे. उधर रामपुर विधानसभा क्षेत्र में 1990, 1993, 1998 व 2003 में विधानसभा चुनाव में सिंघी राम लगातार चुनाव जीते. 2007 से कांग्रेस के टिकट पर रामपुर विधानसभा क्षेत्र से नंदलाल ने जीत की हैट्रिक पूरी कर ली है। रोहरु विधानसभा क्षेत्र से भी कांग्रेस के नेता मोहन लाल पिछले दो विधानसभा चुनाव लगातार जीते हैं।