अर्थी में इस्तेमाल “बांस” से कर दी पुष्प वाटिका की बाड़बंदी, श्मशान घाट का सौंदर्यकरण…

 

नाहन, 08 जनवरी : ऐतिहासिक शहर के श्मशान घाट की हालत बद से बदतर होती नजर आ रही थी। लेकिन इसी बीच नगर परिषद की सराहनीय पहल सामने आई है, ताकि श्मशान घाट का रखरखाव न केवल बेहतर तरीके से हो सके, बल्कि फूलों की वाटिका में भी खूबसूरती बिखेरे। लिहाजा यहां सप्ताह में तीन दिन के लिए माली नरेश की तैनाती कर दी गई।

 इसी मुहिम में माली की शानदार सोच सामने आई है। दरअसल, अंतिम संस्कार के बाद अर्थी में इस्तेमाल बांस को इधर-उधर फेंक दिया जाता था। साथ बहते एक नाले में बांस के ढेर अक्सर ही नजर आ जाते थे। लेकिन नगर परिषद के माली नरेश ने इसका बखूबी इस्तेमाल किया है। श्मशान घाट पर खाली पड़ी जमीन को फूलों की वाटिका में तब्दील कर रहा है। माली द्वारा बांस को चीरकर उसकी टुकड़ो में बांट दिया जाता है, इसके बाद इसका इस्तेमाल बाड़बंदी के तौर पर किया जा रहा है। यह बाड़बंदी न केवल खूबसूरत लग रही है, बल्कि इसमें एक संदेश में छिपा हुआ है। 

 ्गौ्रतलब है कि शमशान घाट के चारों तरफ बढ़ती खरपतवार ने सौंदर्य पर ग्रहण लगा रखा था। अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने आने वाले कई मर्तबा कीचड़ में फिसल कर चोटिल भी हो जाते थे। लेकिन अब नगर परिषद के माली ने इस स्थान को वास्तव में मोक्ष धाम में तब्दील करने का बीड़ा उठाया हुआ है। श्मशान घाट के सौंदर्यीकरण के पीछे की सोच नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संजय तोमर की भी है।

 

उल्लेखनीय है कि शहर की सामाजिक संस्थाओं ने भी श्मशान घाट के सुंदरीकरण का बीड़ा उठाया हुआ है। लेकिन एक कर्मचारी की विशेष कार्य के लिए नियुक्ति होने से श्मशान घाट पर चंद महीनों में निखार आने की उम्मीद है। जुटाई गई जानकारी के मुताबिक करीब एक दर्जन खास तरह के फूलों की प्रजातियों के साथ तुलसी के पौधों को भी लगाया गया है। इसके परिणाम आने में कुछ समय लगेगा।

 एक सवाल के जवाब में कार्यकारी अधिकारी ने माना कि सकारात्मक परिणाम आने की स्थिति में माली की स्थाई नियुक्ति भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बांस का इस्तेमाल बाड़बंदी के लिए किया जाना प्रशंसनीय है। 

 

 

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