अंतरराष्ट्रीय गुर्जर महोत्सव में देखने को मिले कला-संस्कृति, खानपान के विविध रंग

सूरजकुंड (हरियाणा), 25 दिसंबर हरियाणा के फरीदाबाद जिले में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गुर्जर महोत्सव 2023 के अवसर पर आयोजित सूरजकुंड मेला विशिष्ट अंदाज में स्मृतियों को गुदगुदाते हुये जीवन को परखने, पराक्रम की शौर्य गाथा के उल्लेखनीय पड़ाव की यादगार पलों को समेटे सोमवार को संपन्न हो गया।
तेईस से 25 दिसंबर तक आयोजित तीन दिवसीय हरियाणा थीम पर आधारित सूरजकुंड मेला हरियाणवी कल्चर,बोल-चाल, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, रोज़गार गारंटी, हस्तशिल्प कला,अपने रीति-रिवाज, पारंपरिक वेशभूषा,आचार- विचार और भारतीय सभ्यता, संस्कृति के शाश्वत मूल्यों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। इस बारे में डाॅ रवीन्द्र सिरोहा ने कहा कि भाषा के मामले में कामचलाऊ रिसर्च और थीसिस का ढ़ेर लगवाने से भाषाओं के इतिहास में विकृत कथ्य का समावेश होने से जनभाषा के इतिहास का कबाड़ा हुआ है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा में स्वांग और नौटंकी एक प्रकार से प्रचलित लोकवार्ता पर आधारित है। जनभाषाओं को ही मातृभाषा कहा जाता रहा है, क्योंकि लिखने, पढ़ने, प्रकाशन और आपसी संवाद में एकरूपता बनाये रखने में यह मददगार है।
भारत में खान-पान, पारंपरिक वेशभूषा पहनावा, देशज भाषा, जनभाषा के लोकगीत इत्यादि हर राज्य को अपने आप में समृद्ध बनाता है और ये विविधता ही भारत को एक महान देश बनाती है। और फिर सूरजकुंड मेले की तो बात ही निराली है।
मेला प्रबंधन से जुड़े ज्ञानचंद भड़ाना ने बताया कि पूरे देश में केवल राजस्थान और हरियाणा दो ऐसे प्रदेश हैं, जहां सबसे ज्यादा शाकाहारी भोजन खाया जाता है। मेले में पेड़े, गाजर पाक , शुद्व घी के बुंदी लड्डू, देशी घी का सागरोटा , मक्का बाजरे की रोटी, विभिन्न प्रकार की कढ़ी,ग्वारपाठे यानी ऐलोवेरा की सब्जी, हल्दी की सब्जी, राजस्थान गंगापुर की खीर मोहन, आलू स्पेशल ,अलवर की कलाकंद, बर्फी, जोधपुर की प्याज कचौरी, मावा कचौरी, चिड़ावा का साग रोटा, सवाई माधोपुर की दाल फ्राई, मिर्ची बड़ा, दाल बाटी, हरी चटनी के साथ पकौड़े ,गुलाब हलवा और फिनि, मिर्ची बड़ा और प्याज की कचोरी, देसी और गिर गाय के शुद्ध देसी घी और सरसों तेल की खुशबू से सराबोर मेले में अलग-अलग व्यंजनों की भरमार थी। साथ ही हरियाणवी और राजस्थानी गीत -संगीत से लेकर लोकनृत्य सब कुछ अप्रतिम सौंदर्य देखते ही बनता था। मेले में कौम के उत्थान के साथ राष्ट्र भक्ति से जुड़े शिक्षाप्रद कार्यक्रम भी आयोजित किये गये।
अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड गुर्जर महोत्सव -2023 में हरियाणा संस्कृति को विश्व पटल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाली हरियाणा एंबेसडर अर्चना सुहासिनी लोकगीतों पर आधारित विशिष्ट नृत्य प्रस्तुति और अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट विजेता साक्षी कसाना का युवाओं को समर्पित संबोधन भी अहम रहा।
किसी भी राष्ट्र की प्रगति, विकास, उन्नति, सामाजिक समरसता, शिक्षा, शौर्य समाज के संगठन में निहित है। इस मौके पर युवाओं ने राष्ट्र निर्माण में जुट जाने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई। युवाओं को स्मरण कराते हुए आह्वान किया गया कि गुर्जर समाज सनातन, शौर्य से जुड़ा हुआ है। युवा पीढ़ी को नशे आदि व्यसनों से दूर रहने के प्रति सचेत करते हुये आह्वान किया कि सतर्क होकर वर्तमान को पहचानिये। प्रचलन से बाहर हो चुके लोकगीत, वेषभूषा, रीति-रिवाजों, प्राचीन शिलालेख, तामपत्र तथा ताड़पत्र आदि में प्राचीन इतिहास के बारे में भी उपयोगी जानकारी दी गयी। ब्रिटिश लाइब्रेरी हमारी संस्कृति रुपी ख़ज़ाने की संरक्षक रही है। अधिकांश लेख फोकलोर सोसाइटी आफ ग्रेट ब्रिटेन द्वारा संचालित ‘फोकलोर’ लोकरत्न जर्नल में प्रकाशित करने का उल्लेख मिलता है।लोक भाषाओं में कथा गीत, किस्से, दास्तान, अस्फुट गीत मिल सकते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से स्वांग और नौटंकी लुप्त हो चुकी है।
कार्यक्रम संयोजक श्री भड़ाना ने बताया कि मेले में बदलती जलवायु परिस्थितियों में मोटे अनाज यानी श्रीअन्न को लेकर भी स्वास्थ्य जुड़ी उपयोगिता के बारे में जानकारी साझा की गयी।

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