अंग मदद फाउंडेशन के द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय अंग समागम शुरू
स्वाधीनता संग्राम की चेतना का मूल्य नई पीढ़ी में भरना समय की मांग
भागलपुर,आरएनएन। डॉ.उषाकिरण खान ने कहा कि,स्वाधीनता संग्राम की चेतना का मूल्य नई पीढ़ी में भरना समय की मांग है, इस दृष्टि से भागलपुर में इसका आयोजन महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि, भागलपुर उनका बहुत ही प्रिय शहर है, यहां आकर वो बहुत ख़ुश होती हैं।
उषा किरण खान के भागलपुर नही आ पाने के कारण ऑनलाइन वीडियो संदेश के जरिये कार्यक्रम के दौरान लाइव में कही गई।उन्होंने कहा कि,स्वाधीनता संग्राम में अगर साहित्य को प्रभावित किया तो कभी साहित्य ने स्वाधीनता को प्रभावित किया।
राष्ट्रीय समागम के आयोजन की जानकारी देते हुए फाउंडेशन की सचिव,प्रसिद्ध समाज सेविका वंदना झा ने कहा कि,ऐसा आयोजन हर वर्ष आयोजित किया जाएगा।
आजादी के अमृत महोत्सव पर स्वाधीनता सेनानी तिलकामांझी को समर्पित शहर में पहली बार 9 जुलाई से शुरू हुए।दो दिवसीय अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम
का संयोजन अस्तित्व झा ने किया। वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन और प्रसून लतांत ने सभी सत्रों का संचालन किया।
बीज वक्तव्य देते हुए विख्यात कवि और अमृत साहित्य के संपादक लक्ष्मी शंकर वाजपई ने कहा कि,स्वाधीनता आंदोलन में सभी विचारधारा और सभी वर्ग के लोगों के साथ हासिए के दलित, शोषित किसान व श्रमिक एकजुट हो गए थे। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आंदोलन में से एक बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि,आजादी के अमृत महोत्सव पर देशवासियों को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे नई पीढ़ीयां करोड़ो शहीदों के त्याग – तपस्या से रूबरू हो सके।
अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ लेखक और नई धारा के संपादक डॉ शिवनारायण ने अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम
की प्रशंसा करते हुए कहा कि, अंग प्रदेश का भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बहुत योगदान है। अंग प्रदेश के तिलकामांझी और महेंद्र गोप को याद करते हुए कहा कि, अंग प्रदेश के लोग आज भी संघर्षित है।
समागम के उद्घाटन समारोह में सुल्तानगंज विधायक डॉ ललित नारायण, विधायक गोपाल मंडल,समाजसेवी कुणाल सिंह,अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि, अंगिका का सहित्य समृद्ध हो रहा लेकिन अंगिका को सार्वधनिक विकास दिलाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है।
स्वागत भाषण के दौरान टीएमबीयू के कुलानुशासक प्रो रतन मंडल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि, भागलपुर में आये दिन बहुत पहले साहित्यिक गतिविधियां होती थी।उन्होंने कहा कि, समाज के विवेक को जगाने की जरुरत है।
इस मौके पर ममता किरण, एनुल हुदा, मृदुला शुक्ला,
डॉ सुधीर मंडल आदि ने अपने विचार रखा।
दूसरे सत्र में भागलपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी कुणाल सिंह ने समागम जैसे आयोजन लगातार करने की जरूरत की बात कही। समागम का दूसरा सत्र स्वाधीनता आंदोलन में गांधी और हिंदी भाषा की भूमिका पर केंद्रित हुई।